Dr. Bizay Sonkar Shastri

पिता का नाम: श्री शिवलाल सोनकर ‘नेता जी’ (स्वतंत्रता सेनानी)

माता का नाम: श्रीमती मुन्नी देवी

भाई

– श्री राजनाथ सोनकर शास्त्री एम.ए.(समाज शास्त्र)(पूर्व सांसद, लोकसभा सदस्य, 42 उपन्यास के लेखक और कई पत्रिका के संपादक)

– श्री कृष्ण कुमार सोनकर ‘किशन जी’परास्नातक

– डॉ विनोद सोनकर एम.ए.पी.एच.डी.(बीजेपी के वरिष्ठ नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यवसायी)

– डॉ अशोक सोनकरएमबीबीएस(मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वरिष्ठ डॉक्टर)

बहन

– श्रीमती कमला सोनकर

– श्रीमती विमला सोनकर

– श्रीमती रामला सोनकरएम.ए.एल.टी(सेवा निवृत्त प्रवक्ता)

– श्रीमती गीता सोनकरबी.ए.

पत्नी

डॉ सुमन सोनकर शास्त्रीएमए, बीएड, पीएचडी, म्यूजिक ग्रेजुएट, फोटोग्राफी में डिप्लोमा (मुख्य ट्रस्टी – गृहलक्ष्मी ट्रस्ट भारत, सामाजिक कार्यकर्ता)

पुत्र

– श्री विशेष सोनकर शास्त्री एमबीए, स्नातक(ई-शिक्षा कंपनी के निदेशक मुख्य ट्रस्टी – जय साबरमती ट्रस्ट ऑफ इंडिया)

– श्री विकल्प सोनकर शास्त्रीबीटेक, एमटेक.परसुइन्ग(न्युयोर्क, अमेरिका से)

शैक्षणिक विवरण

प्राथमिक शिक्षा प्रा. पाठशाला, महेशपूर, वाराणसी।

हाई स्कूल शिक्षा सेंट्रल हिंदू बॉयज़ स्कूल, वाराणसी।

इंटरमीडिएट शिक्षा राष्ट्रीय इंटर कॉलेज, वाराणसी।

स्नातक / एमबीए / पीएच.डी. डिग्री बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

शास्त्री उपाधि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी।

 

डॉ विजय सोनकर शास्त्री का जन्म बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी (वाराणसी अथवा बनारस) उत्तर प्रदेश में 24 सितंबर 1959 को हुआ। उनके पिता श्री शिवलाल सोनकर ‘नेता जी’ एक स्वतंत्रता सेनानी रहे है। उनकी माता का नाम श्रीमती मुन्नी देवी था। डॉ शास्त्री अपने सगे चार भाई और चार बहनों में सबसे छोटे हैं । उनकी पत्नी डॉ सुमन सोनकर शास्त्री ‘गृहलक्ष्मी’ ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी हैं, साथ ही वे एक सोशल वर्कर भी है और समाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं । डॉ शास्त्री के दो पुत्र है।

डॉ शास्त्री जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट्रल हिंदू बॉयज़ स्कूल से पूरी की। इसके पश्चात् उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में प्रवेश लिया। शिक्षा के प्रति उनकी रूचि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने स्नातक, एमबीए, पीएचडी की डिग्री हासिल की। डॉ शास्त्री ने अपनी उच्च शिक्षा प्रसिद्ध बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और शास्त्री की उपाधि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से ली है।

राजनीतिक सफर

डॉ शास्त्री जी अपने छात्र जीवन के अध्ययनकाल से ही सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लेने लग गए थे। वर्ष 1980 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्ययन करते समय वे अपने साथ पढ़ रहे गरीब छात्रों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते थे। इस दौरान दलित छात्रों की सभी आवश्यकताओ को देखना और उनके उन समस्याओं को दूर करना डॉ शास्त्री का मिशन बन गया था। इन्हीं सामाजिक कार्यों ने उन्हें आगे चल कर राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।

डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने 19 जनवरी 1998 में जर्मनी से लौटकर आने के बाद भारत में अपने राजनीतिक करियर को आरम्भ किया। समाजिक कार्यों में उनकी लगन और मेहनत को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी में उन्हें कार्यकारी सदस्य के रूप में जगह मिली। यह उनकी लगन और कठिन परिश्रम का ही फल था कि पार्टी ने उन्हें जल्द हीं केंद्रीय चुनावों में भाग लेने का अवसर दे दिया।

22 जनवरी 1998 के ऐतिहासिक दिन पर डॉ शास्त्री ने अपना चुनाव अभियान शुरू किया और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उपस्थिति में मंच पर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनावी भाषण दिया। 24 जनवरी 1998 के दिन चुनाव लड़ने के लिए सैयदपुर लोकसभा से उन्होंने अपने चुनावी नामांकन का परचा भरा। इस चुनाव में सैयदपुर सीट के लिए मतदान 16 फरवरी 1998 को हुआ और 2 मार्च को मतगणना के बाद चुनाव परिणाम आए जिसमें डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने अपने पहले ही चुनाव में जीत हासिल कर ली और लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए।

इसके बाद उनके सामाजिक कार्यों के इतिहास को देखते हुए उन्हें “राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग” (भारत सरकार) के अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया गया । 2004 में वह राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा (बीजेपी) के उपाध्यक्ष भी बनाए गए। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए उन्हें 2008 में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी चुना गया। लोकसभा के सदस्य के तौर पर उनके कार्यों की प्रशंसा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक पुस्तक के आमुख को लिखकर भी की थी।

भारतीय जनता पार्टी में डॉ शास्त्री जी की सक्रियता और सामाजिक गतिविधियों में इनकी प्रसिद्धि के कारण इन्हें वर्तमान में पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर शास्त्री जी पार्टी का पक्ष और सरकार के द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों को जनता तक स्पष्टता से सफलतापूर्वक पहुंचाने का कार्य करते हैं।

डॉ शास्त्री जी ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और जन सेवा में समर्पित किया है। उनके मन में हमेशा से ही देश की जनता के कल्याण से जुड़े विचार रहते है। यही कारण है कि वे जन कल्याण और सामाजिक उत्थान से जुड़े कार्यों में निरंतर अपनी सहभागिता दर्ज कराते आए हैं। कालांतर में डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने केवल भारत की ही नहीं बल्कि पश्चिमी देशों की प्रजातिय समस्या एवं संपूर्ण विश्व में उभर रही अमीरी-गरीबीकी समस्या के निदान की दिशा में काम करना प्रारंभ किया।

सामजिक कार्य

डॉ विजय सोनकर शास्त्री जी युवाकाल से ही भारतीय संस्कृति तथा धर्म से जुड़े रहे और इनके उत्थान के लिए हमेशा कार्यरत रहे। उन्होंने इस हेतु ही “श्रीमहाविद्यायोगपीठम्” नामक एक आध्यात्मिक एवं समाजिक संस्था की स्थापना भी किया है। जहां पर भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण अंगों वेद एवं पुराण का अध्ययन करवाया जाता था। इसके साथ साथ वे योग, अगम निगम, आयुर्वेद तथा भारतीय शास्त्रीय संगीत के उत्थान के लिए भी बहुत सारे उल्लेखनीय कार्य निरंतर करते रहते हैं।

अनेक भारतीय सांस्कृतिक संस्थाओं जैसे संस्कार भारती, विश्व हिन्दू परिषद, विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण मंच एवं प्रदेश गौरक्षा संवर्धन समिति के लिए भी वे समय-समय पर अपना योगदान देते रहे हैं। भारतीय मिट्टी से निकले खेलों को बढ़ावा देने में भी शास्त्री जी ने उल्लेखनीय कार्य किया है। इसके तहत उन्होंने भारतीय पारंपरिक खेल संगठन – अखिल भारतीय नियुध्द स्पोर्ट्स एसोसिएशन की नींव रखी।

वर्ष 1990 से विश्व हिन्दू परिषद में रहते हुए उन्होंने स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने और शिक्षा के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बहुत सारे प्रशंसनीय कदम उठाए। इसके अलावा उन्होंने गौ माता के संरक्षण, महत्व और उनके प्रति सहज व्यवहार को लेकर भी जन जन को जागरूक करने का कार्य किया।

राजनीति में आने के बाद और लोकसभा के सदस्य के तौर पर डॉ शास्त्री ने संसद के पटल पर विकास कार्यों से जुड़े अनेकों प्रश्न उठाए। डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति (भारत सरकार) के अंतिम चेयरमैन (कैबिनेट मंत्री स्तर ) के रूप में कार्य किया। शास्त्री जी के सुझाव पर इस आयोग को दो अलग-अलग आयोगों में विभाजित किया गया एवं जनजाति मंत्रालय का भी निर्माण किया ।

डॉ विजय सोनकर शास्त्री द्वारा तैयार की गई 2002 में एक प्रस्तावित योजना मल्टी फंक्शनल एनटाइटलमेंट कार्ड जो इन्फार्मेशन एन्ड टेक्नोलॉजी मंत्रालय, रिजर्व बैंक आफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एवं जीवन बीमा निगम द्वारा लिखित स्वीकृत पाइलट प्रोजेक्ट पर आधारित आज भारत का ‘आधार कार्ड’ एवं न्यूनतम प्रीमियम पर भारत में चलने वाली जीवन बीमा की विभिन्न योजनाएं भी हैं।

लेखन

डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने समाजसेवा और राजनीति के साथ साथ लेखन में अपनी रूचि को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक मुद्दों पर बहुत सारी पुस्तकें भी लिखीं। डॉ शास्त्री के दादाजी की प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी के साथ मित्रता उनकी लेखन जीवन की प्रेरणा है । डॉ शास्त्री के द्वारा लिखी पुस्तकों में “दलित हिन्दू की अग्नि परीक्षा, मानवाधिकार: एक भारतीय दृष्टि, सामाजिक समरसता दर्शन, हिन्दू वैचारिकी एक अनुमोदन, हिन्दू खटिक जाति, हिन्दू बाल्मीकि जाति, हिन्दू चर्मकार जाति तथा कानून का अधिकार, संत शिरोमणि गुरु रैदास” इत्यादि प्रमुख हैं। इन पुस्तकों के अलावा वे “दलित आंदोलन पत्रिका” नामक एक पत्रिका का भी संपादन एवं संचालन करते हैं। इस पत्रिका के माध्यम से वे दलित वर्ग के उत्थान के मुद्दे उठाते रहते हैं।

बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेज होने के कारण डॉ शास्त्री का झुकाव प्रारम्भिक दिनों से ही लेखन की तरफ हो गया । छात्र जीवन के समय से उन्होंने संस्कार भारती में संभाग के साहित्य सचिव के तौर पर भी अपना योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, पत्रकार, वंदे मातरम पत्रिका के सब एडिटर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं।

उपसंहार

सार्वजनिक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने में डॉ शास्त्री हमेशा शामिल रहे हैं। वे एक साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, फिल्म निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता के रूप में निरंतर कार्य करते आ रहे हैं। उन्होंने कई देशो की यात्राएं भी किये हैं जिनमे रूस, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, स्विट्ज़रलैंड, हंगरी, बांग्लादेश और नेपाल समेत कई देश शामिल हैं। वे बाल्यावस्था से लेखन कार्य में रूचि रखते हैं और उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हो चुकी है। वर्तमान में वे अपने राजनीतिक कार्यों के साथ-साथ गत शताब्दी की एक महत्वाकांक्षी महाकाव्य “श्री कृष्णचरितमानस” का संपादन भी किया हैं जो जल्द हीं सुविद पाठकों के लिए उपलब्ध होगा।

राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय जनता पार्टी । पूर्व सांसद । वरिष्ठ राजनीतिज्ञ । स्वयंसेवक । प्रखर हिंदूवादी । प्रबुद्ध विचारक । गहन आध्यात्मिक चिंतक । राष्ट्रभक्त

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